Saturday, December 6, 2008

"लौ कि अस्मत पर अब सियासी चिंगारियां उठने लगी हैएक दौर था, जब आम सदका किया करते थे
रंगीन होती थी शयारों कि महफिले, उस लौ कि आगाज़ सेआतिशे आसमां होता था
वक़्त कि सियासत से, खंजर जो चली उस लौ परअब खामोश सा पड़ा रहता है, तनहा और बेजुबान ...
आज! लौ कि अस्मत पर सियासी चिंगारियां उठने लगी है"
आज जैसे देश का हर तबका जाग गया है....और एकता की उस लौ को हर शख़्स एक होकर कह रहा है....अब वक्त आ गया है कि आर पार की लड़ाई होनी ही चाहिए...आखिर कब तक हम बर्दाश्त करेंगें..इस बार आतंक का पानी सर से ऊपर उठ चुका है...और जब तक इसको पूरी तरह से विनाश नही किया जाएगा तब तक हिन्दुस्तान का एक एक शख़्स कभी चैन की नींद नही सो पाएगा....मेरी ये गुज़ारिश हैं हर हिन्दुस्तानी से कि इसी तरह एक होकर हम लड़ेंगे आतंकवाद के खिलाफ और भारत की शान हमेशा ऊंची रखेंगे....और वादा करतें हैं कि इस बार लड़ने में कोई चूक नही होगी...ये वक्त आपसी लड़ाई का नहीं बल्कि सबक सिखाने का है...

Saturday, November 29, 2008

मुंबई धमाको की गूंज आज पूरी तरह खत्म हो गई लेकिन ये गूंज हिन्दुसितान के हर शख्स के मन मं सदैव एक ख़ौफ बनकर गूंजती रहेगी....इस तरह की वारदात,घटना और हादसे से मुंबई पहली नही दहली थी...1993 धमाके की द दिलाते ये चरमपंथी आतकवादी हमला हर पल ये कहता है कि शायद ये 59 घंटे मुंबई के इतिहास मे सबसे कठिन और मुश्किल भरे पल हैं जो कभी भूले नही जा सकते....इस धमाकों से जितनी मैं एक पत्रकार की हैसियत से आहत हूं...उतना ही मुंबईवासी और न सिर्फ मुंबई बल्कि पूरा देश इस वक्त डरा और सहमा सा हुआ है कि आखिर लोग किस मुश्किल से गुज़रे हैं...